एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस – Ankylosing spondylitis

विशेष जानकारी

इस लेख या जानकारी का उद्देश्य आपको एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस से डराना नहीं है | इसका उद्देश्य है की आप अपनी बीमारी को अच्छी तरह से समझे और सही जानकारी के द्वारा आप अपने गठिया विशेषज्ञ (रहेउमाटोलॉजिस्ट) से विचार विमर्श करके अपने इलाज का सही निर्णय ले सके | हमारा यह मानना है की सही जानकारी से सशक्त होकर मरीज़ अपना इलाज बेहतर करवा सकता है और गलत दावों से भ्रमित नहीं होता | यह जानकारी एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस के लिए सामान्य जानकारी है, सलाह नहीं | वैसे तो यह जानकारी प्रमाणित है , लेकिन मेडिकल फील्ड के निरंतर बदलते स्वरुप के कारण यह जानकारी पुरानी हो सकती है | हम पूरी कोशिश करते हैं की इसको निरंतर रूप से प्रमाणित करते रहे, लेकिन यह हमेशा संभव नहीं है | सिर्फ इस जानकारी के आधार पर कृपया कोई भी इलाज का निर्णय ना लें | कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने गठिया रोग विशेषज्ञ ( रयूमटोलॉजिस्ट ) की राय जरूर लें और उनके निर्देशानुसार ही इलाज करवाएं |

एंकिलॉज़िंग (Ankylosing) का अर्थ होता है – जुड़ाव (फ्यूज़न) (Fusion ) |

स्पॉन्डिलाइटिस (spondylitis) का अर्थ होता है – स्पाइन (Spine) या रीड क़ी हडडी के मनकों की सूजन (inflammation) |

एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस एक ऐसा रोग है जो पीठ, गर्दन, और कभी कभी कूल्हों और एड़ी में दर्द और जकडन का कारण बनता है | यह एक प्रकार का वात या गठिया रोग है (Gathiya / vaat rog), जिसे आर्थराइटिस (arthritis) भी कहा जाता है।
अमूमन यह मान्यता होती है की गठिया रोग बुढापे का रोग है | रहेयूमेटोलोजी (Rheumatology) एक ऐसा मेडिकल फिल्ड है जिसमे अनेक प्रकार के गठिया रोगों का समावेश होता है | रह्युमेटोलॉजिस्ट (Rheumatologist) एक ऐसा डॉक्टर होता है, जो इन गठिया रोगों के प्रकार का पता लगाकर इनका इलाज (treatment) करते हैं। ऐसे बहुत सारे गठिया रोग या वात रोग हैं जो किसी को अल्पायु में ही ग्रसित कर सकते हैं। AS ऐसा रोग है।

एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस वात रीढ़ की हड्डी ( spine vertebra) के आसपास या कुछ जोड़ों (joint) में सूजन के साथ शुरू होता है (चित्र 1) । यह किशोर या वयस्क अवस्था के युवक या युवतियों (ज्यादात्तर युवको) को ग्रसित करता है । इस रोग की शुरुआत बचपन में भी हो सकती है। कभी कभी, इस बिमारी से रीढ़ की हड्डियों का एक साथ फ्यूज़न (fusion) या जुड़ाव हो सकता है (चित्र 2) |

एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस एक ऐसा गठिया या वात रोग है, जो अमूमन किशोर या वयस्क अवस्था के युवको को निरंतर पीठ या कूल्हे के दर्द से ग्रसित करता है |

इसका सबसे आम लक्षण है नीचली पीठ में दर्द (चित्र 1)|

यह दर्द आमतौर पर:

  • जल्दी वयस्कता में शुरू होता है, आमतौर पर 45 वर्ष की आयु से पहले
  • धीरे धीरे बढ़ता है या तीव्र होता है
  • 3 महीने से अधिक समय तक रहता है
  • आराम करने के बाद दर्द और जकडन बढ़ जाती है – जैसे रात को लेटने पर और सुबह उठने पर
  • काम करने पर या हिलने डुलने के साथ दर्द और जकडन अमूमन कम हो जाते हैं

एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस गठिया रोग का सबसे आम लक्षण निचली कमर या पीठ और कूल्हे का दर्द और जकडन, जो लेटने और बैठने पे बढ़ जाता है, लेकिन काम करने या चलने पर कम हो जाता है |

पीठ में जकडन और लचीलापन कम होने की वजह से बहुत बार जुकाव वाले काम, जैसे की , मोज़े या जुते पहनने में दिक्कत आ सकती है । इस बिमारी से आगे जाकर कमर में काफी जुकाव भी आ सकता है (चित्र 3) ।

इस बिमारी के अन्य लक्षण ये भी हो सकते हैं:

  • अन्य जोड़ों में दर्द या गठिया, जैसे कूल्हे या कंधे (चित्र 1)|
  • शरीर के अन्य भागों में दर्द या सूजन, जैसे कोहनी, ऊँची एड़ी या पसलियाँ |
  • पूरा दिन थकान लगना |

इस रोग से ग्रसित सिर्फ कुछ लोगों में, अन्य और समस्याएं हो सकती हैं, जैसे की :

  • आंख के हिस्से की सूजन – इसे “आईरिटिस (iritis)” या “यूवेइटिस (uveitis)” कहा जाता है और आंखों में दर्द और धुंधली दृष्टि का कारण बन सकता है । यह समस्या लगभग ३० % प्रतिशत AS के रोगियों में होती है |
  • साँस लेने की समस्याएं – कुछ लोगों की पसलियों और रीढ़ की हड्डी के बीच जकडन होती है, इससे गहन साँस लेने और व्यायाम करने में कठिनाई हो सकती है |
  • आंतों के अंदर की सूजन, जो आमतौर पर कोई बाहरी लक्षण नहीं दिखाती, लेकिन वजन कम होने का कारण हो सकती है |

निम्नलिखित कुछ और अन्य समस्याएं काफी कम बार पायी जाती है :

  • रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर की सम्भावना – रिड की हड्डी जुड़ाव के कारण बाहर से कड़क और उसके विपरीत अंदर से नरम या पोकल हो जाती है, जिसकी वजह से मामूली चोट पर हड्डी टूटने का डर बना रहता है । यह AS की बिमारी के बहुत लंबे समय तक सक्रिय रहने पर या सही इलाज नहीं मिलने पर होता है |
  • ह्रदय के वॉल्व (heart valve) में समस्या –   आजकल अच्छे इलाज उलब्ध होने के बाद यह बहुत ही क्वचित (बहुत कम) रोगियों में पाया जाता है |

नहीं, कोई भी ऐसा टेस्ट नहीं है जो १०० % प्रतिशत बता सकता है की आपको AS है । लेकिन वात या गठिया रोग के डॉक्टर, यानी के रहेयूमेटोलॉजिस्ट, आपका निरिक्षण करके , कुछ ब्लड टेस्ट (blood test), जैसे की HLA B27, ESR, CRP वगैरह करके और एक्सरे (X ray) एवं MRI द्वारा यह निर्धारित कर सकते हैं की आपको AS है या नहीं |

ऐसा कोई भी टेस्ट नहीं है जो १०० % प्रतिशत बता सके की आपको एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस है या नहीं । एक रह्युमेटोलॉजिस्ट ही आपकी तकलीफ और जांचो को मिलाकर इसका निदान कर सकता है |

बिमारी की तीव्रता या गम्भीरता के लक्षण – Ankylosing spondylitis ke gambhir yaa tivra hone ke lakshan

आपके रह्युमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर ही यह पक्का बता सकते है की आपकी बिमारी तीव्र या गम्भीर है की नहीं । कुछ लक्षण या रिपोर्ट, जो इसकी तरफ इशारा करती हैं, वह निम्नलिखित हैं:

  • हमेशा दर्द का होना |
  • कूल्हे (hip) का दर्द होना –  MRI पर कूल्हे की सूजन का दिखना और बने रहना |
  • ESR और CRP रिपोर्ट (test / report) का हमेशा बढ़ा हुआ होना |

AS के रोगी में हमेशा दर्द होना और इसके साथ ESR और CRP रिपोर्ट का बढ़ा हुआ होना, यह दर्शाता है की उसमें बिमारी लगभग हमेशा ही सक्रिय रहती है |

  • उपचार (ट्रीटमेण्ट – treatment) आपके लक्षणों पर निर्भर करता है और इसपर भी निर्भर करता है की आपकी स्थिति कितनी तीव्र (severe) या सक्रिय (active) है । उपचार का लक्ष्य लक्षणों को, खासकर दर्द को दूर करना है, आपकी सामान्य गतिविधियों को करने में मदद करना है, और आपकी स्थिति को अन्य समस्याओं से दूर रखना है।
  • व्यायाम (Exercise) AS के उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कुछ लोग व्यायाम करने का सबसे अच्छा तरीका जानने के लिए शारीरिक चिकित्सक या फ़िज़ियोथेरेपिस्ट (Physiotherapist – एक अभ्यास विशेषज्ञ) के साथ काम करते हैं । आप अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए उचित व्यायाम का अभ्यास कर सकते हैं । आपके आसन पर काम करना विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि AS के कारण, पीठ का बूढ़े आदमी की तरह आगे की तरफ झुकाव हो सकता है (चित्र 3) । विशेष व्यायाम इस को रोकने में मदद कर सकते हैं । सूर्यनमस्कार और स्विमिंग से भी काभी लाभ हो सकता है ।

एन्किलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लिए कई लोगो को एक या अधिक दवाएं लेनी पड़ सकती हैं :

  • NSAIDS – यह दवाइयों का एक बड़ा समूह है जिसमें इबुप्रोफेन (Ibuprofen) (नमूना ब्रांड नाम: ब्रुफेन ) और Naprosen (नमूना ब्रांड नाम: नेपोसिन), इंडोमेथासिन (indomethacin) (नमूना ब्रांड नाम: डोनिका, Donica या इनमेसिन Inmecin शामिल हैं। ये दवाएं दर्द और जकडन को दूर करने में सहायता कर सकती हैं। वैसे तो यह पेन किलर (pain killer) कही जाती है, और लोग इन्हें लेने से कभी कभी घबराते हैं, लेकिन अगर सही मात्रा में और सही तरीके से दी जाएँ, तो यह काफी फायदेमंद साबित हो सकती हैं ।
  • अन्य दवाइयां – ऐसी अन्य दवाइयां हैं (Sulfaslazine – Saaz, Methotrexate – Folitrax), बायोलॉजिकल इंजेक्शन्स (biological injections – Infliximab नमूना ब्रांड नाम : Remicade ; Adalimumab नमूना ब्रांड नाम : Humira, Exemptia ; Etanercept नमूना ब्रांड नाम : Enbrel, Intacept, Etacept ) जो लक्षणों के उपचार में मदद कर सकती हैं और AS खराब होने से रोक सकती हैं। आपके डॉक्टर या नर्स तय करेंगे कि आपके लिए कौन सी दवाएं सबसे अच्छी हैं ।
  • शल्य चिकित्सा या सर्जरी (Surgery) कुछ लोगों को गंभीर एंकेइलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के साथ मदद कर सकती है। उदाहरण के लिए, कुछ लोगों को अपने हिप (Hip) या कूल्हे  का जोड़ बदलवाकर  कृत्रिम कुल्हा (hip replacement – चित्र 4) लगवाना पड़ सकता है ।

हाँ, आप इस बिमारी से होने वाली तकलीफ को कम कर सकते हैं . इसके लिए आपको निम्नलिखित सावधानिया बरतनी होगी :
  • धूम्रपान (Smoking) बंद किजिये – यदि आप धूमपान करते हैं और आपको AS , तो आपको श्वसन समस्या होने की अधिक संभावना होगी। धूम्रपान छोड़ने से आपको बिंमारी के कण्ट्रोल में मदद मिल सकती है ।
  • व्यायाम (Physiotherapy / Exercise) – व्यायाम स्पॉन्डिलाइटिस एंकिलॉजिंग के कारण होने वाली जकडन को रोकने में मदद कर सकता है। व्यायाम और स्ट्रेचिंग के लिए अपने फिजिओथेरपिस्ट डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।
  • उपयुक्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी (Calcium and Vitamin D) प्राप्त करें – यह आपकी हड्डियों को कमज़ोर होने से बचाने में मदद कर सकता है । 
  • जितना हो सके के बारे में जानकारी हासिल कीजिये, बिमारी के बारे में सही ज्ञान आपको सही इलाज़ से भटकने से बचाएगा ।
  • अपने रहेयूमेटोलॉजिस्ट (Rheumatologist) या गठिया/वात रोग के डॉक्टर को नियंतर दिखाते रहने से वह आपकी बिमारी के उस समय के लक्षण और गम्भीरता के आधार पर आपका इलाज या ट्रीटमेण्ट निर्धारित कर सकते हैं | इलाज़ करवाने का ध्येय यह होता है की बिमारी को जितना हो सके, शांत रखा जाए | उनके दिए हुए निर्देशों को समझकर उनका पालन करें, दवाई बराबर ले और बताया हुआ व्यायाम बराबर करें | इन चीज़ों को करने से को जीवन सुचारू रूप से चलाने में रोगी को काफी मदद मिल सकती है |
  • AS में ज्यादातर लोग अपना जीवन बिना बहुत ज्यादा कठिनाइयों के गुजार सकते हैं । क्योंकि यह बिमारी ज्यादात्तर किशोर या वयस्क उम्र के लड़को में, या कुछ किशोरी या वयस्क लड़कियों में दिखाई देती है, यह कभी कभी जीवन के उन सालों को प्रभावित या अफेक्ट (affect) करती है , जो हमारी पढ़ाई, करियर और कमाई के लिए बड़े ही महत्वपूर्ण होते हैं |
  • भारत देश में, ५०-७० % AS के पेशेंट्स को आम तौर पर, बहुत ज्यादा गंभीर या तीव्र लक्षण नहीं होते हैं । इन लोगों में बहुत बार बिमारी रुक रुक कर तकलीफ देती है |

५०-७० % प्रतिशत रोगियों में AS की बिमारी सक्रिय या तीव्र या गंभीर नहीं होती, यह लोग व्यायाम और हलकी दवाइयों के सहारे अपन जीवन बिना कठिनाइयों के गुजार सकते हैं ।

  • बिमारी सक्रिय (active) होने पर पेशेंट को दर्द और जकडन महसूस होती है, उस समय यह कहा जाता है की पेशेंट बिमारी फ्लैर (flair) हो गयी है या बढ़ गयी है । बिमारी सक्रिय होने पर रिपोर्ट में भी अमूमन ESR और CRP बढ़ा हुआ दिखता है | इस बिमारी के फ्लैर के दौरान इलाज़ के रूप में दवाई या इंजेक्शन का सहारा लेना पड़ता है । बहुत बार ऐसे फ्लैर के प्रकरण (episode) तीन से छह महीने में दवाइयों से शांत या अक्रिय (inactive) हो जाते हैं । काफी बार बिमारी बहुत सालो तक निष्क्रिय या शांत (inactive) रहती है, जब तक फ्लेयर (flair) का नया प्रकरण (episode) नहीं होता है | इन दो प्रकरण (episode) के बीच रोगी बहुत बार एकदम स्वस्थ महसूस करता है |

बहुत से रोगियों में बिमारी कुछ समय के लिए सक्रिय होकर लंबे अंतराल के लिए अक्रिय (शांत) हो सकती है

  • बहुत पेशेंट्स में बिमारी काफी सालो तक के लिए शांत भी हो सकती है और बहुत पेशेंट्स की बिमारी इतनी माइल्ड (mild) या कम होती है की, लोगों को पता ही नहीं होता की उन्हें यह गठिया हैं। लेकिन लगभग सभी रोगियों में बिमारी सक्रिय या निष्क्रिय रूप में जीवन भर साथ रहती है |

एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस की बिमारी जड़ से कभी ख़त्म नहीं होती, अमूमन रोगी के साथ जीवन भर रहती है, लेकिन जब बिमारी शांत या अक्रिय रहती है तो किसी भी रोग का एहसास नहीं होता है ।

  • लेकिन ३०-५०% प्रतिशत लोग ऐसे भी होते हैं जिसमें बिमारी हमेशा सक्रिय (active) रहती है | ऐसे पेशेंट्स को अपना जीवन सुचारू रूप से संचालित करने में काफी दिक्कत आती है | ऐसे लोगों में अमूमम बिमारी सक्रिय या तीव्र होने के कारण, शरीर में आगे जाकर रिड की हड्डी के मनको (spine) के जुड़ाव (fusion चित्र 2) का कारण बन सकती है | ऐसे लोगों में, आगे जाकर, पीट में काफी झुकाव (bent) आ सकता है, कूल्हे (hip) या अन्य जोड़ खराब होकर कम उम्र में ही कृत्रिम जोड़ लगवाने की नौबत आ सकती है (चित्र 4)| लेकिन आज कल कुछ ऐसे इंजेक्शन्स, जिन्हें बायोलॉजिकल इंजेक्शन्स (biological injections) कहते हैं, उपलब्ध है, जिससे बिमारी से इतने नुक्सान की संभावना नहीं रहती |

३०-५० % प्रतिशत रोगियों में अस की बिमारी तीव्र या हमेशा सक्रिय रहने की वजह से पीठ में जुकाव या कूल्हे के जोड़ की खराबी आ सकती है |

  • इस गठिया या वात से ग्रसित रोगियो में एक ही बिमारी होने के बावजूद, बिमारी की गम्भीरता हर रोगी में एकदम अलग हो सकती है | इस बिमारी को कोई भी दवाई या इंजेक्शन जड़ से ख़तम नहीं  सकता है, पर इसको कण्ट्रोल में अछी तरह से रखा जा सकता है, जिससे यह शरीर को, रिड की हड्डी को नुक्सान नहीं पहुचाये |

तीव्र या गंभीर AS वाले रोगियों में बायोलॉजिकल इंजेक्शन्स (biological injections) से उपचार द्वारा बिमारी को शांत रखकर जीवन सुचारू रूप से संचालित किया जा सकता है और आगे जटिलताओं से बचा जा सकता है |

क्या आप एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing spondylitis) गठिया रोग या वात से ग्रसित है ? या आपको किसी और गठिया रोग और वात (गठिया / वाट रोग – arthritis) के बारें में जानकारी चाहिए ? तो नीचे बताये गए कॉलम में अपनी जानकारी या डिटेल्स भरीए और हम आपको जल्द ही संपर्क करेंगे ।

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